Sri Gajalakshmi Ashtottara Shatanamavali Hindi
| १. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गजलक्ष्म्यै नमः |
| २. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अनन्तशक्त्यै नमः |
| ३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अज्ञेयायै नमः |
| ४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अणुरूपायै नमः |
| ५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अरुणाकृत्यै नमः |
| ६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अवाच्यायै नमः |
| ७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अनन्तरूपायै नमः |
| ८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अम्बुदायै नमः |
| ९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अम्बरसंस्थाङ्कायै नमः |
| १०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं अशेषस्वरभूषितायै नमः |
| ११. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं इच्छायै नमः |
| १२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं इन्दीवरप्रभायै नमः |
| १३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं उमायै नमः |
| १४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं ऊर्वश्यै नमः |
| १५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं उदयप्रदायै नमः |
| १६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कुशावर्तायै नमः |
| १७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कामधेनवे नमः |
| १८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कपिलायै नमः |
| १९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कुलोद्भवायै नमः |
| २०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कुङ्कुमाङ्कितदेहायै नमः |
| २१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कुमार्यै नमः |
| २२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं कुङ्कुमारुणायै नमः |
| २३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं काशपुष्पप्रतीकाशायै नमः |
| २४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं खलापहायै नमः |
| २५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं खगमात्रे नमः |
| २६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं खगाकृत्यै नमः |
| २७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गान्धर्वगीतकीर्त्यै नमः |
| २८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गेयविद्याविशारदायै नमः |
| २९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गम्भीरनाभ्यै नमः |
| ३०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गरिमायै नमः |
| ३१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं चामर्यै नमः |
| ३२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं चतुराननायै नमः |
| ३३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं चतुःषष्टिश्रीतन्त्रपूजनीयायै नमः |
| ३४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं चित्सुखायै नमः |
| ३५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं चिन्त्यायै नमः |
| ३६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गम्भीरायै नमः |
| ३७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गेयायै नमः |
| ३८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं गन्धर्वसेवितायै नमः |
| ३९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जरामृत्युविनाशिन्यै नमः |
| ४०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जैत्र्यै नमः |
| ४१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जीमूतसङ्काशायै नमः |
| ४२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जीवनायै नमः |
| ४३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जीवनप्रदायै नमः |
| ४४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जितश्वासायै नमः |
| ४५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जितारातये नमः |
| ४६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं जनित्र्यै नमः |
| ४७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं तृप्त्यै नमः |
| ४८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं त्रपायै नमः |
| ४९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं तृषायै नमः |
| ५०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं दक्षपूजितायै नमः |
| ५१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं दीर्घकेश्यै नमः |
| ५२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं दयालवे नमः |
| ५३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं दनुजापहायै नमः |
| ५४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं दारिद्र्यनाशिन्यै नमः |
| ५५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं द्रवायै नमः |
| ५६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं नीतिनिष्ठायै नमः |
| ५७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं नाकगतिप्रदायै नमः |
| ५८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं नागरूपायै नमः |
| ५९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं नागवल्ल्यै नमः |
| ६०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं प्रतिष्ठायै नमः |
| ६१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं पीताम्बरायै नमः |
| ६२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं परायै नमः |
| ६३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं पुण्यप्रज्ञायै नमः |
| ६४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं पयोष्ण्यै नमः |
| ६५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं पम्पायै नमः |
| ६६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं पद्मपयस्विन्यै नमः |
| ६७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं पीवरायै नमः |
| ६८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भीमायै नमः |
| ६९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भवभयापहायै नमः |
| ७०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भीष्मायै नमः |
| ७१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भ्राजन्मणिग्रीवायै नमः |
| ७२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भ्रातृपूज्यायै नमः |
| ७३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भार्गव्यै नमः |
| ७४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भ्राजिष्णवे नमः |
| ७५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं भानुकोटिसमप्रभायै नमः |
| ७६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं मातङ्ग्यै नमः |
| ७७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं मानदायै नमः |
| ७८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं मात्रे नमः |
| ७९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं मातृमण्डलवासिन्यै नमः |
| ८०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं मायायै नमः |
| ८१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं मायापुर्यै नमः |
| ८२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं यशस्विन्यै नमः |
| ८३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं योगगम्यायै नमः |
| ८४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं योग्यायै नमः |
| ८५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं रत्नकेयूरवलयायै नमः |
| ८६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं रतिरागविवर्धिन्यै नमः |
| ८७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं रोलम्बपूर्णमालायै नमः |
| ८८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं रमणीयायै नमः |
| ८९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं रमापत्यै नमः |
| ९०. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं लेख्यायै नमः |
| ९१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं लावण्यभुवे नमः |
| ९२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं लिप्यै नमः |
| ९३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं लक्ष्मणायै नमः |
| ९४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं वेदमात्रे नमः |
| ९५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं वह्निस्वरूपधृषे नमः |
| ९६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं वागुरायै नमः |
| ९७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं वधुरूपायै नमः |
| ९८. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं वालिहन्त्र्यै नमः |
| ९९. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं वराप्सरस्यै नमः |
| १००. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं शाम्बर्यै नमः |
| १०१. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं शमन्यै नमः |
| १०२. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं शान्त्यै नमः |
| १०३. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं सुन्दर्यै नमः |
| १०४. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं सीतायै नमः |
| १०५. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं सुभद्रायै नमः |
| १०६. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं क्षेमङ्कर्यै नमः |
| १०७. | ओं श्रीं ह्रीं क्लीं क्षित्यै नमः |
| १०८. |
इति श्री गजलक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावलिः सम्पूर्णा